Gold vs Crypto vs Stock : कहां सुरक्षित रहेगा और ज्यादा रिटर्न देगा आपका पैसा?


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सोने की चमक पुरानी है, क्रिप्टो का जोश नया है, और शेयर मार्केट हमेशा से चालबाज रहा है - सवाल है कि आम आदमी किसकी तरफ जाए, कहां पैसा लगाए?

अगर आपकी जेब में कुछ बचत है, तो दिमाग में सवाल भी होंगे कि क्या गोल्ड हमेशा सुरक्षित निवेश बना रहेगा - क्या क्रिप्टो अब सिर्फ जुआ नहीं, निवेश है और क्या स्टॉक्स आज भी Long Term Wealth के राजा हैं? चलिए इन तीनों का मुकाबला करवाते हैं - Gold vs Crypto vs Stock - बिल्कुल बॉक्सिंग मैच की तरह।

राउंड वन : Stability vs Volatility

Gold : सोना इतिहास से ही एक सुरक्षित एसेट रहा है। मंदी हो या युद्ध, लोग सोने की ओर भागते हैं। इस साल ही इसने लखपति बनकर दिखा दिया। इसमें उतार-चढ़ाव कम है, लेकिन रिटर्न भी सीमित है।

Crypto : जैसे Bitcoin, Ethereum वगैरह। ये रोलर कोस्टर जैसे होते हैं। एक दिन चांद पर, दूसरे दिन खाई में। इनके साथ-साथ निवेशकों का दिल भी ऊपर-नीचे होता रहता है। 2024 में Bitcoin ने $73,000 का रिकॉर्ड बनाया, फिर कुछ हफ्तों में $60,000 के नीचे आ गया। Stablecoin जैसे विकल्प हैं, लेकिन फिर वो 'क्रिप्टो' की आत्मा से अलग हैं।

Stock Market : Nifty और Sensex - इनमें क्रिप्टो के मुकाबले स्थिरता है। हालांकि इनके साथ भी रिस्क जुड़ा हुआ है। AI, Pharma, EV जैसे कुछ सेक्टर शानदार रिटर्न दे रहे हैं। लंबे वक्त में बाजार ने 12-15% CAGR दिया है।

इस पहले राउंड में स्थिरता के लिए विजेता है सोना, लेकिन अगर संतुलित जोखिम के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं तो शेयर बाजार (Share Market) का जवाब नहीं।

Round 2: Liquidity और Accessibility

Gold : तुरंत बेच सकते हैं, लेकिन जेवर बेचो तो मेकिंग चार्ज कटता है। बड़ी कंपनियों और ब्रैंड का मेकिंग चार्ज ज्यादा होता है और छोटे व्यापारियों पर बहुत लोग भरोसा नहीं कर पाते। Digital Gold या ETF ज्यादा स्मार्ट ऑप्शन हैं।

Crypto : 24/7 बाजार, तुरंत खरीद और बेच सकते हैं। लेकिन अगर आपने पासवर्ड या वॉलेट खो दिया, तो पैसा भी गया।

Stock Market : मार्केट के घंटे फिक्स हैं, लेकिन ट्रांसपेरेंसी है। अब मोबाइल ऐप आने से शेयर मार्केट मे निवेश करना और बेचना आसान हो गया है।

दूसरे राउंड में स्पीड और सुलभता के मामले में क्रिप्टो को जीत मिली और सुरक्षा में स्टॉक्स ने बाजी मारी।

Round 3: Regulation और Trust

Gold : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंक खुद सोना खरीदते हैं। भारत में BIS Hallmark से भरोसा जुड़ा है।

Crypto : सबसे अनरेगुलेटेड सेक्टर है। चीन जैसे कुछ देश तो इस पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। कुछ दूसरे देश भी इस बारे में सोच रहे हैं। 

Stock Market : भारत में SEBI बहुत मजबूत रेगुलेटर है। अतीत में कुछ अनियमितताएं हुई हैं, लेकिन उनका पता लगा लिया गया। 

इस राउंड में भरोसे के मामले में Gold और Stocks बराबरी पर हैं। Crypto अब भी खतरे में है।

Round 4 : Return on Investment (ROI)

पिछले 5 साल का औसत रिटर्न (2020-2024) देखा जाए तो गोल्ड ने प्रति वर्ष 9 से 10% का मुनाफा दिया।  Stocks (Nifty 50) 12 से 15% की रफ्तार से बढ़ा। इनके बीच क्रिप्टो ने जबरदस्त दौड़ लगाई। Bitcoin ने एक वक्त 60 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया, लेकिन उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा रहा।

इस राउंड में केवल रिटर्न देखेंगे तो क्रिप्टो के मुकाबले कोई नहीं, लेकिन रिस्क भी बहुत हाई है। लंबी रेस में स्टॉक्स विजेता हैं।

Gold vs Crypto vs Stock - नतीजा क्या रहा?

सोना डर में साथ देता है, स्टॉक्स विश्वास में फलते हैं और क्रिप्टो रोमांच में डूबा है। अगर संयम है, तो तीनों का मिश्रण आपकी वित्तीय थाली को स्वादिष्ट बना सकता है। लेकिन लालच में एक ही स्वाद पर न टिक जाइए।

भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितता के चलते निवेशकों ने सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर रुख किया, जिससे इसकी कीमतों में वृद्धि हुई है। Nifty 50 की बात करें तो बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद, बाजार में स्थिरता के कारण रिटर्न सीमित रहा।

नए निवेशकों की बढ़ती रुचि और संस्थागत निवेश के कारण बिटकॉइन ने शानदार रिटर्न दिया, लेकिन इसकी अस्थिरता उच्च जोखिम का संकेत देती है।​

- तो Gold vs Crypto vs Stock की इस लड़ाई में निवेशकों के लिए सुझाव है कि गोल्ड सुरक्षित निवेश के लिए उपयुक्त, लेकिन उच्च कीमतों पर बड़ी खरीदारी से बचें। 

- Nifty 50 लंबी अवधि के निवेशकों के लिए स्थिर विकल्प है, विशेष रूप से SIP के माध्यम से निवेश करें।

- क्रिप्टो में उच्च रिटर्न की संभावना है, लेकिन केवल उस राशि का निवेश करें जिसे आप खोने का जोखिम उठा सकते हैं।​

गोल्ड सुरक्षा प्रदान करता है। Nifty 50 स्थिरता और स्थायी रिटर्न का स्रोत है। वहीं, क्रिप्टो उच्च रिटर्न के साथ उच्च जोखिम भी लाता है।​

संतुलित पोर्टफोलियो के लिए इन तीनों में उचित अनुपात में निवेश करना समझदारी होगी।​

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